रामविलास पासवान
उन गिने चुने नेताओं में हैं जो यदाकदा ही विवादों में आयें। हालांकि उनकी व्यक्तिगत जीवन ही विवादों से भरी रही पर आम लोगों में उन्होंने अपनी छवि ऐसी बना रखी थी, उनके विवादों की चर्चा कभी हुई भी या नहीं भी। 1969 में पहली बार विधायक बनने के बाद से राजनीति में 51 साल गुजार चुके रामविलास पासवान की निजी जिंदगी के बारे में लोग कम ही जानते हैं। पासवान ने दो शादियां कीं। उनकी पहली पत्नी आज भी बिहार के खगड़िया के उनके पैतृक आवास में रहती हैं। वे जब राजनीति में नहीं आये थे तभी पहली शादी हो गई थी। उस शादी से उनकी दो बेटियां हैं, जबकि दूसरी पत्नी से एक बेटे चिराग पासवान व एक बेटी है।
In a family function at Banglore pic.twitter.com/KY1u7SeDkP
— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan) June 13, 2016
पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
Miss you Papa… pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
End of an era!
Sad at the passing away of senior leader, illustrious Parliamentarian and Union Cabinet Minister Shri Ram Vilas Paswan. His life & times are a lesson of how strong determination can take one to the zenith of one's career.
Condolences @iChiragPaswan & family. pic.twitter.com/ThZY6hCMkM
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) October 8, 2020
परिवार के साथ रक्षाबंधन पर्व के फ़ोटो pic.twitter.com/SSEpDZmVth
— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan) August 26, 2018
यही नहीं रामविलास पासवान को लेकर
सोसाइटी में एक बड़ी युक्ति थी। और यह युक्ति थी कि वे पॉलिटिक्स के मौसम विज्ञानी हैं। वे जिसके साथ जाते हैं, उनकी सरकार बन जाती है। पिछले तीन दशक में शायद ही कोई प्रधानमंत्री हो जिसकी कैबिनेट में वे नहीं दिखे। जहां वे अटल बिहारी वाजपेयी के कैबिनेट में थे तो यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार में भी बेहद महत्वपूर्ण महकमा संभाला। और फिर जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो वे कैबिनेट का चेहरा थे। पॉलिटकल सर्किल में तो कहा ये भी जाता था कि मौसम विज्ञानी भी कभी-कभी गलती कर बैठते हैं लेकिन रामविलास पासवान से ऐसी गलती बिलकुल नहीं होती।
और आश्चर्यजनक यह भी कि चाहे वे किसी के साथ हों, चुनाव में रिकार्ड मतों से जीतने का उनका रिकार्ड बनना तय ही था। चाहे वो जनता दल में रहे हों या फिर लोजपा में। चाहे वो कांग्रेस गठबंधन में रहे हों या फिर राजग गठबंधन में। वे अधिकांश समय केंद्र में ही मंत्री रहे और सांसद रहे। पर, इस दौरान भी उनका मन बिहार में ही रमा रहता था। वे बिहार से अलग कुछ भी सोच ही नहीं पाते थे। केंद्र में मंत्री बनने के बाद बिहार ने उनके दिल पर राज किया। योजना कोई भी हो, बिहार के ही हिस्से में आती थी।
Ram Vilas Paswan and Chirag Paswan celebrate Holi with his family and friends pic.twitter.com/NEIEUQKEL9
— ANI (@ANI) March 6, 2015
I was fortunate to work under Ram Vilas Paswan ji as a first time minister. A seasoned politician and administrator I learnt many valuable lessons. May his soul rest in peace. My deepest condolences to his family for their loss. @iChiragPaswan pic.twitter.com/fL1BowyPRi
— Jitin Prasada जितिन प्रसाद (@JitinPrasada) October 8, 2020
इन सबके बीच में बिहार का नेतृत्व करने
बिहार का सीएम बनने की इच्छा उनकी कभी पूरी नहीं हो सकी। लालू के शासनकाल में लालू प्रसाद के साथ भी रहे और विरोध में भी लेकिन इस दौरान किसी को मौका ही नहीं मिला। और उसके बाद नीतीश कुमार का राज आ गया जो अब तक बरकरार है। उन्होंने सबसे अलग होकर अपनी पार्टी भी बनाई लेकिन उनकी पार्टी बिहार में कभी इस हैसियत में नहीं रही कि बिहार के राजकाज का नेतृत्व कर सके। उनको हमेशा केंद्र में मंत्रीपद से ही संतोष करना पड़ा।

रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर
1969 में तब शुरू हुआ था, जब वे सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे। खगड़िया में एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान ने इमरजेंसी का पूरा दौर जेल में गुजारा। 1977 की रिकॉर्ड जीत के बाद रामविलास पासवान फिर से 1980 और 1989 के लोकसभा चुनावों में जीते। इसके बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद विभिन्न सरकारों में पासवान ने रेल से लेकर दूरसंचार और कोयला मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली।
पिछले तीन दशक में त्रिमूर्ति नेताओं का बोलबाला रहा
लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और राम विलास पासवान इस त्रिमूर्ति का हिस्सा रहे। तीनों ने एक दूसरे के साथ मिलकर और अलग होकर भी काम किया। लेकिन व्यक्तिगत वैमनस्य कभी इनके बीच नहीं दिखा। जितनी जल्दी इनके बीच राजनैतिक झगड़ा होता उसी तेजी से राजनैतिक विवाद हल भी हो जाता।
पहली बार पिछले दिनों जब रामविलास पासवान अस्पताल गये तो पासवान की पार्टी लोजपा राजग में रहते हुये बिहार चुनाव के लिये राजद द्वारा दरकिनार कर दी गई। हालांकि नीतीश कुमार ने जरूर कहा कि अगर आज रामविलास जी हॉस्पिटल में नहीं होते तो यह मनमुटाव ही नहीं होता।लेकिन रामविलास पासवान को इस बार कुछ अलग ही धुन सवार थी। इस बार वे नीतीश से मनमुटाव दूर करने के लिये हॉस्पिटल से बाहर ही नहीं निकले।
पिछले कुछ दिनों से
रामविलास पासवान बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे। उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर उनके रवानगी की जानकारी दी। रामविलास पासवान मोदी कैबिनेट में सबसे उम्रदराज मंत्री थे। पिता के निधन के बाद चिराग ने गुरुवार रात 8 बजकर 40 मिनट पर रामविलास पासवान और अपने बचपन की फोटो के साथ एक भावुक ट्वीट किया- पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।