70 के दशक में
मशहूर चाइल्ड आर्टिस्ट हुआ करते थे। उस दौर की कई फिल्मों मास्टर राजू ने काम किया। 70 राजू ने फिल्मों में अपनी मासूमियत से ऐसी छाप छोड़ी कि लोग आज भी उन्हें याद करते हैं। मास्टर राजू का जन्म फहीम अजानी के रूप में हुआ था लेकिन संजीव कुमार ने गुलजार साहब की फिल्म परिचय (1972) के दौरान उनका नाम राजू रखा दिया था। तबसे ही फहीम अजानी मास्टर राजू के नाम से मशहूर हो गए। मास्टर राजू का जन्म 15 अगस्त 1966 को मुंबई के डोंगरी इलाके में हुआ था। राजू श्रेष्ठ अब 54 साल के हो चुके है। उनके पिता युसुफ एक चार्टर्ड एकाउंटेड थे जब कि मां स्कूल टीचर थी। मास्टर राजू का एक भाई अमेरिका में रहता है जबकि उनकी बहन गुजर चुकी हैं।
राजू के परिवार का
फिल्मों से कोई संबंध नहीं था, फिर भी उन्हें पांच साल की उम्र में पहली फिल्म मिल गई थी। उस दौरान वो वह डोंगरी (दक्षिण मुंबई में) में रहते थे। बाल और जूनियर कलाकार उन दिनों डोंगरी से आते थे क्योंकि ज्यादातर कास्टिंग एजेंट वहीं रहते थे।
गुलज़ार परिचय के लिए
एक चाइल्ड आर्टिस्ट की तलाश कर रहे थे। उन्हें फिल्म के लिए एक ऐसा बच्चा चाहिए था जिसने पहले फिल्मों में काम नहीं किया हो। एक जूनियर कास्टिंग एजेंट ने राजू के पिता से संपर्क करके पूछा कि क्या वो अपने बेटे को फिल्मों में काम करवाएंगे पहली बार में तो उनके पिता ने मना कर दिया था लेकिन बाद में मान गए।
ऑडिशन के लिए गए सभी बच्चे
अच्छी तरह से तैयार थे। कुछ ने डांस किया, तो कुछ ने मिमिक्री की और कुछ दूसरे फिल्मों के डॉयलॉग बोल रहे थे। गुलजार ने सभी से बात की। जब वह बात करने के लिए राजू के पास पहुंचे, तो वह रोने लगे। राजू के माता-पिता ने सोचा कि उनका बेटा खारिज हो गया है। लेकिन दो दिनों के बाद, उन्हें गुलज़ार के कार्यालय से यह कहने के लिए फोन मिला कि वह राजू से फिर मिलना चाहते हैं। जब राजू को लेकर उनके माता पिता गुलजार से मिले तो पता चला वो ऐसे ही बच्चे की तलाश में थे जैसा राजू हैं।
1972 में आई फिल्म परिचय में
राजू को संजीव कुमार, जितेंद्र, जया बच्चन,और प्राण जैसे बड़े सितारों के साथ काम करने का सौभाग्य मिला। वही मास्टर राजू को उनकी पहली ही फिल्म से बहुत पसंद किया गया। फिल्म परिचय में का उनका एक सीन के फॉर करना है वाला बहुत पसंद किया गया था।
दर्शक उनकी मासूमियत के कायल हो गए थे
इसके बाद राजू ‘बावर्ची’, ‘अभिमान’, ‘दाग’, ‘अंखियों के झरोखों से’ ‘चितचोर’ और ‘किताब’ जैसी फिल्मों में भी नजर आए। फिल्म दर फिल्म उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई।
आपको बता दे कि राजू श्रेष्ठा
100 से ज्यादा फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम कर चुके हैं और 1976 में आई फिल्म ‘चितचोर’ के लिए राजू बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड भी जीत चुके हैं। वही राजू ने कई मशहूर निर्देशकों जैसे यश चोपड़ा, हृषिकेश मुखर्जी, गुलज़ार और बसु चटर्जी और धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जीतेन्द्र, संजीत कुमार, शर्मिला टैगोर, अमिताभ बच्चन, अमोल पालेकर जैसे अभिनेताओं के साथ भी काम किया।
90 के दशक में
राजू श्रेष्ठ ने कई फिल्मों में काम किया। अफसाना प्यार का, शतरंज, खुद्दार, साजन चले ससुराल समेत कई फिल्मों में वो दिखें लेकिन धीरे-धीरे फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया। इसके बाद उन्होंने टीवी का रुख किया। जब दूरदर्शन में सिर्फ एक या दो धारावाहिक ही आया करते थे।
उनका पहला सीरियल
1987 में आया था जिसका नाम था ‘चुनौती’। ये सीरियल काफी मशहूर हुआ था। इसके अलावा उन्होंने ‘अदालत’, ‘बड़ी देवरानी’, ‘भारत का वीर पुत्र –महाराणा प्रताप’, ‘CID’, ‘बानी- इश्क दा कलमा’ और ‘नजर-2’ जैसे सीरियल्स में भी काम किया। इन दिनों राजू श्रेष्ठा को काम नहीं मिल रहा। ना तो वो फिल्मों में नजर आते हैं और ना किसी सीरियल में।